
आग लगी है काली काली
आग लगी है काली काली,
कौन मवाली लगा गया?
जब जब रात ने डाला डेरा,
अंधेरा ही छा गया!
उछल रही है चिंगारी,
कौन बंजारा जला गया?
जब सारे तारें चमक उठे,
चांद भी शरमा गया!
कतरा कतरा गर्माया,
कौन जुआरी फंसा गया?
पेड़ों की ही लकड़ी काट,
पेड़ों को ही तपा गया!
यह जुनून की महामारी,
कौन बद्दुआ लगा गया?
जब रोशनी ने पर्दा खींचा,
हर ख्वाब उसमें समा गया!
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