
आँखें
मैंने जिंदगी को बेनकाब दूर से देखा
मगर यह सच है कि पास से देख न पाया
मैंने ख्वाबों को ख्वाब ही रौंदते देखा
मगर मैं दिल की बेबसी देख न पाया
मैंने अश्कों को आंखों से फिसलते देखा
मगर मैं उनके अंत को देख न पाया
मैंने जिंदगी को बेनकाब दूर से देखा
मगर यह सच है कि पास से देख न पाया
मैंने ख्वाबों को ख्वाब ही रौंदते देखा
मगर मैं दिल की बेबसी देख न पाया
मैंने अश्कों को आंखों से फिसलते देखा
मगर मैं उनके अंत को देख न पाया
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