
अगर तू मिल जाए
रोज़ की यह उथल-पुथल
जज़्बातों को मसल मसल
उलझन-सुलझन में बंधी
भागती यह आँखें मेरी थम जाए
...अगर तू मिल जाए
निर्वात मन, बंजर ज़मीन
ख्वाइश बस एक फूल की
फूल वात्सल्य से भरा
फूल प्रेम के तत्त्वों से सिला
हो कोमलता तेरे होठों की
हो महक तेरी बातों की
ये फूल खिल जाए
...अगर तू मिल जाए
दिल बेकरार, है इंतजार
तेरी नज़रों का इश्तहार
दिख जाए जो बस एक बार
हो जाऊं मैं तुझपे निसार
क़िस्मत इन हाथों में अगर
हर रेखा पे लिख दू नाम तेरा
नाम तेरा, नाम मेरा जुड़ जाए
...अगर तू मिल जाए
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