अमन
भावों को विराम मिले
शब्दों को खामोशी
चंचल चितवन छिप जाए
छाए बदन में बेहोशी
रात में जब चांद खिले
बादल उसे ढक देना
कुछ चैन उसे भी चाहिए
कुछ अमन मेरी भी आरज़ू
भावों को विराम मिले
शब्दों को खामोशी
चंचल चितवन छिप जाए
छाए बदन में बेहोशी
रात में जब चांद खिले
बादल उसे ढक देना
कुछ चैन उसे भी चाहिए
कुछ अमन मेरी भी आरज़ू
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