
बादल जाओ, बादल जाओ
मुरझा गई है चांदनी
बादल जाओ, बादल जाओ
सिमट गई है रोशनी
बादल जाओ, बादल जाओ
(1)
चार तारों की ख्वाइश है
एक छोटी सी गुंजाइश है
हम हार चुके उम्मीदों से
अब थोड़ी सी समझ दिखलाओ
सुकून से रात बिताने दो
बादल जाओ, बादल जाओ
(2)
क्या अम्बर, क्या अवनी यहां
बस कोहरा ही कोहरा है
हर जलती रूह को घेरे हुए
अंधेरे का पहरा है
न जान सके जो सच ढंग से
ऐसों के थोड़े काम आ जाओ
आंखों पर पर्दा न है अच्छा
बादल जाओ, बादल जाओ
(3)
यूं बरसने से क्या होगा
आंसुओं का मौका होगा
न मिलेगी मदद किसीको
दर्द छिपकर बह रहा होगा
खामोश हो जाए हर चाहत
ऐसी तो न पुकार लगाओ
गरजने से बस खौफ बढ़ेगा
बादल जाओ, बादल जाओ
न मुनासिब न मुक्कमल
अधूरे सपने मेरा वजूद है
इन्हें झूठा मत ठहराओ
बादल जाओ, बादल जाओ
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