
एक छोर पर है जिंदगी
एक छोर पर है जिंदगी,
चाहती है मैं कूद जाऊं
एक सड़क किनारे मौत है
चाहती है मैं रुक जाऊं
एक ऊंचाई पर है सूरज,
चाहता है मैं थक जाऊं।
एक दूरी पर झरना है,
चाहता है मैं भीग जाऊं।
एक मैं हूं असमंजस में,
न चलना, न रुकना चाहूं।
एक और ये सारी कोशिशें,
किसे किसे समझाऊं?
एक सहारा है पेड़ों का,
पर मौत रुकने नहीं देती।
एक सुकून चलने में भी,
पर जिंदगी जीने नहीं देती।
एक तारीफ मुझे लुभाए,
मैं खुश मदमस्त हो जाऊं।
एक तोहीन मुझे जलाए,
फिर उलझनों में खो जाऊं।
एक नशे सी लगती है रात,
कोई मुझे देख ही न पाए,
एक दोस्ती बाकि है नींद से,
पर ये चांद आड़े आ जाए!
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