गलतियां

जो गलतियां मैंने की,
तुम वो कभी मत करना
क्या है कि मेरी गलतियां,
कुछ ऐसी इम्तियाज़ है
कि मुझे उनपे बड़ा नाज़ है

मेरी पहली गलती ये,
कि जिसे बहुत चाहा,
उसे कह न पाया
और जिसे थोड़ा थोड़ा चाहा,
उसे कहते कहते रह गया
क्या?
कि तुम्हें कितना चाहता हूं

मेरी दूसरी गलती ये,
कि जीवन में मिले,
बेहद हसीन लोग
खिलखिलाती खुशियां
बिलखते क्षोभ
मिला क्या क्या नहीं,
और मैं बेवकूफ तलाशता रहा,
क्या नहीं मिल पाया

कुछ गलतियां ऐसी है
मैं तुमसे न कह पाऊंगा
इन्हें अपने भीतर कहीं
लेकर ही मरजाऊंगा
क्या है कि कुछ पन्नों पर
खामोशी जरूरी है
जैसे कुछ कविताओं में
काफियां न मिलना

ये वही अधूरी ख्वाहिश है
ये वही अनकही चाहत है
मेरे वजूद का सबूत
है ये गलतियां
इसलिए न कह कर भी
कहीं न कहीं कह जाऊंगा

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