
ग़ज़ल
एक नग़मा हम हैं,
एक ग़ज़ल तुम
बाक़ी सबके कान खड़े,
बेक़रार सुनने को
ये दास्तां हसीन जो,
इंतज़ार करने दो।
कुछ पन्ने और लिखे,
इश्क़ से लदे हुए,
कुछ छंद और जोड़े,
एहसासों से सिले हुए।
ग़ज़ल बड़ी तो
थोड़े वक़्त की ज़रूरत,
ग़ज़ल तेरी जो
हो बखान ख़ूबसूरत।
एक ख़्वाहिश पूरी हुई,
एक अब भी अधूरी,
प्यार तो कर लिया,
तू दे दे बस मंज़ूरी।
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