हुस्न

हुस्न से ढाया कहर,
दिल की तार छेड़ी है
श्रृंगार रस भी कमजोर,
मानो हुस्न की देवी है।

बजे मृदुंग, मधुर ताल,
हाय! मजनूं हुआ बेहाल
मोरपंख सी लालिमा,
हो जैसे कुदरत का कमाल।

धड़क धड़क के बोल रहा दिल,
ये कैसी अद्भुत काया है,
आँखों में ख़ुशी के आँसू,
प्रेम का पनघट पाया है।

आज जुड़ जाएँगे दो दिल,
ये शाम बड़ी सुहानी,
जीवन डगर पर मिले थे हम,
अब लिखेंगे नई कहानी

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