जब जब दुनिया से हारा
जब जब दुनिया से हारा
मैं और चुप हो गया
(1)
मिलने में रात को
था बस एक साथ जो
कहता था दुनिया लगे बेहद खूबसूरत
अगर मैं उसके पास हूं
गया जब दुनिया में जीने
छोड़ के आंचल मेरा
लौटा न ख्वाब कभी
महज याद बन रह गया
मैंने भी न सवाल किया
मैं और चुप हो गया
(2)
हाथों में लिए पानी
पानी में झलकता चेहरा
चेहरे पे चांद से दाग थे
ये दाग इस चेहरे को खास थे
चमक के बाजार में
तारीफें ही चली
जिस जिस ने दाग को पाला
वह निसार हो गया
प्यार को नकार कर
मैं और चुप हो गया
(3)
इतना चुप हूं अब कि
खामोशी सुनाई देती है
आने वाले वक्त की
तन्हाई सुनाई देती है
बड़ी बड़ी बातों के तले
ये छोटी छोटी आंखें
अगर लिख जाए सच
तो कुछ मुकम्मल हो गया
जब जब दुनिया से हारा
मैं और चुप हो गया
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