
कसक
यह तो दिल की कसक है
ख्वाब अधमरे तड़प रहे
मुझमें बाकी न मुझसा कोई
अब तुझमें शायद मैं मिलूं
यह मन भी फिसल रहा
हर बार हर खयाल से
कुछ अगर थमी हुई
मेरी रूह तेरे प्यार से
क्यों जोड़ता है मुझे?
क्यों तोड़ता भी रहे?
ऐसा भी क्या फैसला,
है फंसा तेरे ख्याल में?
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